नए दौर की राह में, वो गज़ल बनके आये, मेरे टूटे अल्फ़ाज़ों में, प्यार का गीत लाये। उस आ नए दौर की राह में, वो गज़ल बनके आये, मेरे टूटे अल्फ़ाज़ों में, प्यार का गीत लाये...
गांव की गलियों में नित घूमता मन, दम घोंटू शहरी जिंदगी से अब हुई अनबन। गांव की गलियों में नित घूमता मन, दम घोंटू शहरी जिंदगी से अब हुई अनबन।
निर्धनता में देखिए, रंग गुलाल विहीन। फिर भी होली गाँव की, होती है रंगीन।। निर्धनता में देखिए, रंग गुलाल विहीन। फिर भी होली गाँव की, होती है रंगीन।।
फिर से मिल जाए मुझे वो पेड़ की शीतल छाँव कुछ भी करके पहुंच जाऊं मैं अपने प्यारे गाँव! फिर से मिल जाए मुझे वो पेड़ की शीतल छाँव कुछ भी करके पहुंच जाऊं मैं अपने प्यार...
पापा जी ये गांव कैसा होता है, बता दो, बड़ा उत्सुक हूं, हो सके तो ले जाकर दिखा दो। पापा जी ये गांव कैसा होता है, बता दो, बड़ा उत्सुक हूं, हो सके तो ले जाकर दिख...
कहां गई खेत की कचरिया। दिखावें न गांव की डगरिया। कहां गई खेत की कचरिया। दिखावें न गांव की डगरिया।